Shrimad Bhagwat Geeta in hindi pdf, भगवत गीता pdf – श्रीमद्भागवत गीता 18 अध्याय गीता अठारहवाँ अध्याय श्लोक –कर्मफल का त्याग न करने वाले मनुष्यों के कर्मों का तो अच्छा, बुरा और मिला हुआ – ऐसे तीन प्रकार का फल मरने के पश्चात अवश्य होता है, किन्तु कर्मफल का त्याग कर देने वाले मनुष्यों के कर्मों का फल किसी काल में भी नहीं होता.!
Shrimad Bhagwat Geeta in hindi pdf – भगवद गीता एक प्राचीन भारतीय दार्शनिक ग्रंथ है जिसमें 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। भगवत गीता के 18 अध्याय इस प्रकार हैं …
गीता का 18 अध्याय का महत्व
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं । यह महाभारत के भीष्मपर्व के अन्तर्गत दिया गया एक उपनिषद् है.!
ईश्वर गीता, अनंत गीता, हरि गीता, व्यास गीता, या केवल गीता के रूप में भी जाना जाता है। भगवद गीता के शीर्षक में गीता का अर्थ है “गीत”।
जहां श्रीमद उपसर्ग का उपयोग उच्च स्तर के सम्मान को दर्शाने के लिए किया जाता है।
इसे श्रीमद्भागवतम के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए, जो एक पुराण है जो हिंदू भगवान कृष्ण और विष्णु के विभिन्न अवतारों के जीवन से संबंधित है।
Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi/ Shrimad Bhagwat Geeta in hindi pdf
भागवत गीता एक 700-श्लोक वाला हिंदू ग्रंथ है, जो एक कथा प्रारूप में हिंदू धर्म और योग की कई प्रमुख दार्शनिक अवधारणाओं का संश्लेषण प्रदान करता है।
निःस्वार्थता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, पाठ दुख से मुक्ति,
आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर के साथ संबंध के लिए विभिन्न दृष्टिकोण प्रदान करता है।
भगवद गीता नाम का अर्थ है “भगवान का गीत” कथा के केंद्रीय पात्रों में से एक, भगवान कृष्ण का जिक्र है।
Shrimad Bhagwat Geeta In Hindi Pdf Download (भगवत गीता pdf) 👉 श्रीमद्भागवत गीता 18 अध्याय
गीता की 18 बातें कौन सी है ? / श्रीमद्भागवत गीता की 18 ज्ञान की बातें
5. संयम यानि धैर्य, सदाचार, स्नेह और सेवा जैसे गुण सत्संग के बिना नहीं आते हैं।
6. श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को वस्त्र बदलने की आवश्यकता नहीं है। आवश्यकता हृदय परिवर्तन की है।
7. जवानी में जिसने ज्यादा पाप किए हैं उसे बुढ़ापे में नींद नहीं आती।
8. भगवान ने जिसे संपत्ति दी है उसे गाय अवश्य रखनी चाहिए।
9. जुआ, मदिरापान, परस्त्रीगमन (अनैतिक संबंध), हिंसा, असत्य, मद, आसक्ति और निर्दयता इन सब में कलियुग का वास है।
11. श्रीकृष्ण कहते हैं कि मनुष्य को अपने मन को बार-बार समझाना चाहिए कि ईश्वर के सिवाय उसका कोई नहीं है। साथ ही यह विचार करना चाहिए कि उसका कोई नहीं है। साथ ही वह किसी का नहीं है।
12. भोग में क्षणिक (क्षण भर के लिए) सुख है। साथ ही त्याग में स्थायी आनंद है।
13. श्रीकृष्ण कहते हैं कि सत्संग ईश्वर की कृपा से मिलता है। परंतु कुसंगति में पड़ना मनुष्य के अपने ही हाथों में है।
14. लोभ और ममता (किसी से अधिक लगाव) पाप के माता-पिता हैं। साथ ही लोभ पाप का बाप है।
15. श्रीकृष्ण कहते हैं कि स्त्री का धर्म है कि रोज तुलसी और पार्वती का पूजन करें।
17. यदि पति-पत्नी को पवित्र जीवन बिताएं तो भगवान पुत्र के रूप में उनके घर आने की इच्छा रखते हैं।
18. भगवान इन सभी कसौटियों पर कसकर, जांच-परखकर ही मनुष्य को अपनाते हैं।
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श्री कृष्ण की ज्ञान की बातें – भगवत गीता pdf
कृष्ण का मुख्य संदेश क्या है ?
कृष्ण की अच्छी बातें – Shrimad Bhagwat Geeta in hindi pdf
मुश्किल में लोगों के साथ खड़े रहें
दिल से दोस्त बनाएं, हैसियत देखकर नहीं
धर्म का मार्ग पर चलें
शांति के लिए अंत तक करते रहें प्रयास
Source – sanskritfire
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